मामला बनारस स्थित महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ का है,जहां राजनीति शास्त्र विभाग के अतिथि प्रवक्ता मिथिलेश कुमार गौतम को कुलसचिव ने सेवा समाप्ति का नोटिस दे दिया। दरअसल मामला ये है कि मिथिलेश ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखा कि महिलाओं को नवरात्रि का व्रत रखने से अच्छा है कि उनको संविधान और कानून की पढ़ाई करनी चाहिए। बस फिर क्या था,खबर विश्वविद्यालय प्रशासन तक पहुंची और कुलसचिव सुनीता पांडेय ने मिथिलेश कुमार को तत्काल प्रभाव से सेवा समाप्त करने के आदेश जारी कर दिया।
सुनीता पांडे ने जारी किए गए आदेश पत्र में कहा
“डॉ. मिथिलेश कुमार गौतम, अतिथि अध्यापक, राजनीतिक शास्त्र विभाग द्वारा हिंदू धर्म के खिलाफ सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट के संबंध में विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा दिनांक 29.09.2022 को शिकायती पत्र प्राप्त हुआ। डॉ. गौतम द्वारा किये गये कृत्य के कारण विश्वविद्यालय परिसर के छात्रों में आक्रोश व्याप्त है तथा विश्वविद्यालय का वातावरण खराब होने, परीक्षा एवं प्रवेश बाधित होने की आशंका है।“
आदेश में आगे लिखते हुए उन्होंने कहा कि-
“इस संबंध में मुझे यह कहने का निर्देश हुआ है कि विश्वविद्यालय नियमावली के तहत डॉ. मिथिलेश कुमार गौतम को तत्काल प्रभाव से पदच्युत (बर्खास्त) करते हुए, विश्वविद्यालय परिसर में सुरक्षा को देखते हुए परिसर में प्रवेश प्रतिबंधित किया जाता है।”
यह मामला जब से सोशल मीडिया पर आया है,लोगों ने नाराजगी जतानी शुरू कर दी है। लोग इसे संविधान विरुद्ध करार दे रहे हैं और मिथिलेश कुमार को निर्दोष कह रहे हैं। कुछ का कहना है कि दलित होने के नाते मिथिलेश को यह सजा भुगतनी पड़ रही है।
काशी विद्यापीठ इससे पहले भी फर्जी डिग्री मामले को लेकर चर्चा में रहा है। इस बार का यह मामला धर्म बनाम संविधान का हो गया है। शिक्षक ने अपनी पोस्ट में सिर्फ़ पढ़ने की बात कही है। उनका नवरात्रि के व्रत को नकारने जैसी बात पोस्ट से बिल्कुल नही लगती।
मिथिलेश राजनीति विभाग में अतिथि प्रवक्ता के रूप में सेवा दे रहे थे।
उनके विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश को भी प्रतिबंधित कर दिया गया है। उनका अपराध यह था कि उन्होंने अपनी टिप्पणी में लिख दिया था कि ” नौ दिनों के व्रत के बजाय यदि स्त्रियाँ संविधान और हिंदू कोड बिल का पाठ करें तो उनका जीवन भय और दासता से मुक्त होगा. जय भीम.” यानि बाबा साहेब आंबेडकर की जय के साथ तर्क बनाम आस्था की बात करना मिथिलेश के लिए जोखिम बन गया।
यह है गेस्ट लेक्चरर की पोस्ट-
“नौ दिन के नवरात्र व्रत से अच्छा है कि महिलाएं नौ दिन भारतीय संविधान और हिंदू कोड बिल पढ़ लें, उनका जीवन गुलामी और भय से मुक्त हो जाएगा. जय भीम“
रिपोर्ट- विवेक रंजन सिंह