छठ महापर्व में खरना के प्रसाद का क्या महत्व है,जानने के लिए पढ़ें ये खबर 

Arti Jha
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छठ महापर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है।  आज छठ पूजा के दूसरे दिन यानी पंचमी तिथि जिसे खरना के नाम से जाना जाता है, व्रत करने वाली महिलाएं माता छठ के लिए प्रसाद तैयार करती हैं। छठ पर्व हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है।  मान्यता है कि इस पर्व से जुड़े नियमों का पालन करने से माता षष्ठी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। बता दें कि छठ पर्व में विशेष रूप से भगवान सूर्य और माता छठ की पूजा की जाती है। षष्ठी के दिन डूबते सूर्य की विशेष पूजा की जाती है। चार दिनों तक चलने वाला यह त्यौहार विशेष रूप से उत्तर और पूर्वी भारत में मनाया जाता है।  आइए जानते हैं छठ पर्व के दूसरे दिन का महत्व और इस दिन क्या करें और क्या न करें।

कठिन व्रतों में आने वाले छठ पर्व में कई विशेष नियमों का पालन किया जाता है। खरना के दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और छठी माता का प्रसाद बनाया जाता है।  इस दिन गुड़ की खीर बनाने की परंपरा है,प्रसाद बनाने के बाद सबसे पहले इसका सेवन व्रत करने वाली महिलाएं करती हैं और उसके बाद इसे परिवार के सभी सदस्यों में बांटा जाता है।इस दिन भगवान सूर्य की विधिवत पूजा की जाती है।

खरना का प्रसाद ऐसी जगह बनाएं जहां रोजाना खाना नहीं बनता। ऐसा करते समय सटीकता का विशेष ध्यान रखें। प्रसाद बनाने के बाद सबसे पहले व्रत रखने वाली महिलाओं को इसे ग्रहण करना चाहिए और ऐसे स्थान पर बैठकर प्रसाद ग्रहण करना चाहिए जहां शांति हो।

भगवान सूर्य को अर्घ्य दिए बिना प्रसाद का सेवन करना पाप की श्रेणी में आता है। इसके साथ ही व्रत रखने वाली महिलाओं को इस दिन सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए।जिस प्रकार पूजा में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है, उसी प्रकार इस दिन भी प्रसाद बनाकर ग्रहण करने से लेकर स्वच्छ व शुद्ध स्थान का प्रयोग करें। इस दिन जरूरतमंद लोगों को अन्न या धन दान करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है और मां छवि उन पर बहुत प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद देती हैं।

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