हर वर्ष की तरह एक युवा, जो जरूरतमंद और गरीबों के लिए बेशुमार दौलत लुटाता है l वैसे तो वह फिल्म निर्माता और बिजनेसमैन है किंतु लोगों का दुख दर्द मैं खड़े रहने वाले इस व्यक्ति को लोग मसीहा भी कह कर पुकारते हैं लाखों समर्थक इसके गुणगान करते हुए नहीं सकते होली हो या दिवाली यह शख्स अपनी कमाई का काफी हिस्सा गरीबों में कपड़े खाना दवाइयां बांटते हुए सड़कों पर नजर आता है l
उत्तर भारत में मददगार के रूप में पहिचान बनाने वाले सारस्वत एक सफल बिजनेसमैन है साथ ही टीवी ऐड प्रोडूसर भी हैं l किंतु समाजसेवा के क्षेत्र में भी उन्होंने एक विशेष नाम कमाया है l खास बात यह है – देश के समस्त त्यौहारों पर दीपक सारस्वत को कपड़े, मिठाइयां और कई तरह के उपहार बांटते हुए सोशल मीडिया पर देखा जा सकता है l कई वर्षों से वह इस नियम का पालन करते आ रहे हैं l
पिछले वर्ष भी लॉकडाउन के समय धनतेरस पर 500 लोगों को मिठाइयां बांटते हुए नजर आए थे, और इस वर्ष भी धनतेरस पर सैकड़ों लोगों को तो मिठाईयां बांटी, साथ ही दिवाली पर 500 लोगों को कपड़े, मिठाई का डब्बा बांटते हुए नजर आए l
जरूरतमंदों के चेहरों पर मुस्कान लाने के लिए लाखों रुपए खर्च करने वाले दीपक सारस्वत इंसानियत की एक ऐसी मिसाल बन चुके हैं, जिनसे हजारों युवा आज प्रेरणा ले रहे हैं l पिछले 2 वर्ष लॉकडाउन में दीपक सारस्वत ने ऐसे कार्य जमीनी स्तर पर किये, जिसे देख नेता मंत्री भी शर्मा जायें l हजारों भूखे लोगों को खाना खिलाना, पैदल चल रहे मजदूरों को आश्रय देना और जरूरतमंदों को दवाइयां पहुंचाना जैसे उन्होंने अपने मकसद ही बना लिया हो l
आज भी सारस्वत पीड़ित परिवारों के लिए हर प्रकार से खड़े रहते हैं, चाहे वो प्रशासन की लापरवाही कोई परेशान हो, या किसी जरूरतमंद को आर्थिक व मानसिक रूप से सहायता की जरूरत हो l ऐसे ही लोग ‘इंसानियत’ नामक शब्द को चरितार्थ करते हैं l